Saturday, September 3, 2011

सलोन के मुस्लिम गहरवार (8)










सलोन के मुस्लिम गहरवार (8)
 
* राजा जय चंद की बेटी योगिता बाली और पृथ्वी राज चौहान की दासतान मशहूर ए ज़माना है, जिसका इख्तेसार पेश है - - -
वक़ेआ है की इंद्र परस्त (दिल्ली) के महाराजा अनंग पाल की कोई औलाद ए नरीना न थी . सिर्फ दो बेटियाँ थीं. उन्हों ने बड़ी बेटी की शादी राजा कन्नौज मुसम्मी विजय चंद गाहड़वाल से किया और छोटी बेटी का राजा अजमेर के साथ. बड़ी बेटी से राजा जय चंद थे और छोटी बेटी से पृथ्वी राज चौहान हुए, यानी दोनों मौसेरे भाई थे. नाना अनंग पल से राजा जय चंद को उम्मीद थी कि बड़ी बेटी के बेटे होने के नाते उनके वारिस वह होंगे, मगर हुवा इसका उल्टा. राजा अनंग पल ने छोटी बेटी के बेटे पृथ्वी राज चौहान को अपना वारिस बनाया. बस यहीं से दोनों में खटक गई. राज्य पिथौरा गढ़ का राजा पृथ्वी राज चौहान दोहरा राज पाकर इतराने लगा और अक्सर राजा जय चंद के ज़ख्मों पर नमक पाशी किया करता. हद तब हो गई जब उसने अपना एलची राजा जय चंद के पास भेज कर अपने लिए उनकी बेटी योगिता बाली का हाथ माँगा, जो समाजी एतबार से जायज़ था, न धर्म सांगत था, न गोत्र सांगत ही था. यह बात इशारा करती है कि पृथ्वी राज चौहान एक कम ज़र्फ हुक्मरां था.
इतिहास गवाह है कि पृथ्वी राज चौहान एक अय्याश और निकम्मा शाशक हुवा.
राजा जय चन्द उसकी इस बेजा जिसरत पर सब्र का घूट पीकर रह गए. वजह थी कि वह राज पिथौरा गढ़ से कमज़ोर थे.
दूसरा वक़ेया ये हुवा कि राजा जय चन्द ने एक तकरीब "राजस्व यज्ञ" की रस्म अदायगी की जिसमे सभी राज वर आए मगर पृथ्वी राज चौहान न आया जिस से तकरीब अधूरी मानी सी लगी. पुरोहितों ने हल निकाला कि उनका तिलाई मुजस्सिमा यज्ञ में रख दिया जाय ताकि तकरीब पूरी हो सके. जब यह बात पृथ्वी राज चौहान को मालूम हुई तो उसने इसे अपना अपमान मान कर कंनौज पर हमला कर दिया और राजा जय चन्द को शिकस्त देकर अपने मुजस्सिमे को अपने साथ ले गया.
दस्तूर राजगान के मुताबिक राज कुमारी राज्य के फातह के वारी हो जाती थी. गरज राज कुमारी योगिता बाली ने भी अपना राज धर्म निभाना चाहा. इसबात की खबर जब जय चन्द को हुई तो उन्हों ने योगिता बाली को महल से हटा कर क़ैद खाने में डाल दिया. इसकी इतेला जब पृथ्वी राज को हुई तो उसने दोबारा कंनौज पर हमला किया और योगिता बाली को रिहा करा के अपने साथ ले गया और अजमेर जाकर उसके साथ शादी रचाई.
रद्द ए अमल में राजा जय चन्द ने पूरी रूदाद सुल्तान शहाब उद्दीन को भेजी और पृथ्वी राज चौहान की सरकूबी की इल्तेजा की. सुल्तान भी पृथ्वी राज चौहान से शिकस्त खुर्दगी का ज़ख्म खाए बैठा था. उसने एक लश्करे अज़ीम लेकर पृथ्वी राज चौहान पर हमला कर दिया. इस जंग में तमाम राजाओं और महा राजाओं ने पृथ्वी राज चौहान का साथ दिया मगर सभों को हार का मुंह देखना पड़ा.
अजमेर की तबाही के बाद सुल्तान ने अजमेर की बाग डोर पृथ्वी राज चौहान के बेटे के हाथों में सौंपा और उसकी निगहबानी के लिए अपने गुलाम क़ुतुब उद्दीन ऐबक़ को मुक़ररर किया और वापस अपने वतन चला गया, जहाँ उसकी मौत हो गई. गुलाम कुतबुद्दीन ऐबक़ ने मौक़ा मुनासिब देखा और हिंदुस्तान का पहला बादशाह हुवा.
यह तारिख हिंद की एक तल्ख़ झलकी है जिसे भूल जाना ही मुनासिब होगा.







No comments:

Post a Comment