Sunday, September 4, 2011

सलोन के मुस्लिम गहरवार (14)





माज़ी करीब की कुछ गहरवार शख्सियतें :
बीसवीं सदी के आगे और पीछे गहरवारों में कुछ नामदार हुए हैं जिनका ज़िक्र पेश है - - -
अंग्रेजों द्वारा बनाए गए सलोन के ६ नंबरदार हुवा करते थे. . .
१-नंबरदार असग़र खान ---जिनकी नस्लें चौधरी नियाज़ अहमद उर्फ़ अच्छन मियाँ की औलादें हैं.
२-नंबरदार बासित खान ---जिनके बेटे माजिद खान लावल्द हुए.
३-नंबरदार रशीद खान --- लावलद हुए. सौतेले भाई मजहर खान की औलादें मुंबई में रहती हैं. ४-अलीम खान --- लावलद गुज़रे, लड़की क़दीरून बीबी थीं.
५- नंबरदार सत्तार बख्श खान --- लावलद हुए, नवासे अब्दुल बारी मुखिया हुए जिनकी नस्लें नब्बन छब्बन और मेरे अज़ीज़ दोस्त रज़ी हैं.
६- अरशद अली खान ---इनका खानदान खूब फला फूला. नामी हकीम सिफ़ात साहब और उनके बेटे डाक्टर निहाल और मेरा प्यारा दोस्त अयाज़ इनकी नस्लों में मौजूद हैं.

असगर खान
इन नम्बरदारों में असगर खान अपनी ताक़त के लिए मशहूर थे. उनके कई क़िस्से हमारे बचपन में सुने जाते थे. . .
अपने मजदूर को दो किलो मीटर दूर गाँव से आवाज़ लगा कर बुलाते.
सुदीन के पुरवा से बबूल का पेड उखाड़ कर रातो रात अपने घर तक घसीट ले, इस तकरार के बाद कि इससे गाड़ी की पहिया कौन बनाएगा ? असगर मियाँ या किसान.
इसी पूर्वे से किसान से कुछ कर्बी मांगी, उसने कहा मियाँ ले जाइए जितना ल़े सकें. दो बीघे की कर्बी नहन में बाँधी और सर पर लाद कर घर ले आए.
७- रौशन खान --- राजा मियाँ की तीन औलादों में एक थे शहाब खान, शहाब खानी खूब फले फूले मगर कुछ ऐसा हुवा कि यह पेड़ सूख गया . रौशन खान इसके आखिरी चास्म चिराग रहे. रियासत का कुछ हिस्सा यह बचाए हुए थे और मॉल गुज़री पालकी से मजदूरों के साथ वसूलने जाते. इन्होने सलोन में पहला पक्का मकान लखोवरी ईंटों का बनवाया जो उस ज़माने के हिसाब से महेल कहा जाता था. यह भी लावालाद हुए एक लावारिस बच्चे को औलाद बनाया जोकि उनको किसी गाँव में सफ़र के दौरान मिला था. इनकी बेगम उस बच्चे के लिए बाकायदा सोवर बैठीं और बड़े धूम धाम के साथ उसका रस्मो-रिवाज हुवा. नाम रखा गज़न्फर खान, गोया शेर खान . गज़न्फर खान की औलादों में मुंशी नजीर का खानदान है.
८- मोलवी हामिद अली खान ---सबसे पहले मैं मोलवी साहब के वालिद मोहतरम का शुक्र गुज़ार हूँ कि उन्हों ने अपनी औलाद को अच्छी तालीम और तरबियत दी.
आप बड़े अलिम थे जिनका मुकाम निज़ाम हैदराबाद के दरबार में अव्वल दर्जे पर था जहाँ हिदोस्तान के जाने माने जोश मलिहादी जैसी हस्ती हुवा करती थी. मोलवी हामिद अली खान को दरबार में खास छूट थी कि वह पान खा सकते थे. मेरी नानी बतलाती थीं कि हामिद उनको सताने के लिए दहेरयत की बात करता और डाँटा जाता.
वह फारसी के आलिम थे. शाह नईम अता शाह और मेरे नाना के दोस्तों में थे. एक बार उन्हों ने चालीस ईरानी मुश्तःदों को दरबार में कायल करके हराया था.
आप हैराबाद गए वहीँ दूसरी शादी कर ली और वहीँ के हो गए. उनकी अवलादों में महमूद पटवारी और मुहम्मद सलोन में रहते हैं.
-चौधरी इकबाल खान ---- नामवर शख्सियत थे भले ही उनके नफ़ी कारनामे थे. रिआया को नीम के पेड़ में बांध कर पिटाई करते. आज की नई बाज़ार उनकी ही विरासत थी जिसे बनियों के खाते में उधारी में चुका दिया. पाकिस्तान जाकर अपना अंजाम कायदे से भुगता.
१०- बुन्याद अली खान ---आप बरतानवी फ़ौज में हवालदार थे. अपनी मुलाज़मत में कई गैर मुल्की दौरे किए. टर्की गए तो अता तुर्क कमाल पाशा से रूबरू हुए और उन से मुसाफ़ा करने का शरफ़ हासिल किया. जापान से छिड़ी मुत्तःदा फ़ौज की तरफ से जंग लड़ी. पुर वकार शख्सियत थे. पढने लिखने का जौक था. मुझे उनसे काफी मालूमात हुई.
११
- अहमद शाह --- नाम था अहमद खान. कलंदर तबअ ज़ात थी. तालीम याफ्ता थे. पांव पैदल ही हज के लिए निकल गए, रास्ते में किसी मुल्क में कानून शिकनी की, गिरफ्तार होकर हाज़िर अदालत किए गए. दर असल उनके पास अफीम थी, उन्होंने कहा यह मेरी गिज़ा है, इससे हमें महरूम नहीं किया जा सकता. जज ने उनके सामने एक पाव अफीम का गोला रक्खा और कहा, अपनी गिज़ा को खा कर दिखलाओ. अहमद शाह सारी अफीम चट कर गए. दूसरे दिन उन्हें भला चंगा देख कर माफ़ कर दिया और मआजरत ख्वाह हुवा. गैर शादी शुदा थे, मफ्कूदुल खबार हुए. मौजूदा खानदान मुंशी आफाक़ का है.
१२- शमीम अहमद खान --- आज़ादी के बाद सलोन के पहले गहरवार प्रधान हुए. टाउन एरिया होने के बाद पहले चेयर मैन हुए, महिला शीट हो जाने पर भी सलोन की गद्दी पर कायम रहे. खानदानी तफरका के बाईस हार का मुंह देखना पड़ा. बहुत कुछ सलोन के लिए कर सकते थे मगर उनके इक्तेदार तक सलोन की किस्मत नहीं बदल पाई.
१३- मुंशी आफाक --- हमारे उस्ताद रहे. अच्छे ताजिर बन कर गहरवारों में उभरे थे, ईमान की कमजोरी ने उन्हें पामाल कर दिया. एक स्कूल "सलोन जूनियर हाई स्कूल'' खोला. मैंने क ख ग का अक्षर ज्ञान दस साल की उम्र में वहीँ से पाया. तीन साल में स्कूल भी बंद हो गया.
बला के ज़हीन थे. मेरी याददाश्त के तल्ख़ और मीठे लम्हे उनसे वाबिस्ता है.
१४- डाक्टर इल्यास --- गहर्वारों में पहले डाक्टर है जिन्हों ने अपने लायक बेटे मुफज्ज़ल को सलोन का पल्ला M. B . B . S. डाक्टर बनाया.
१५-चौधरी नसीम अहमद - - - गहरवारों में पहले सपूत हैं जो L L B करके कामयाबी हासिल की और बेटे को M M B S कराया. राय बरेली में आबाद हुए. कुछ दिनों के लिए राजीव गांघी के करीब रहे.

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