
भूल कर भी किसी से न कहना कि तुम राजा मियाँ, काशी नरेश राजा देव दत्त की नस्लों में से हो. कहना हो तो सिर्फ खुद से कहना, अपने गरीबान में मुँह डाल कर झाँकना कि तुम आज हक़ीक़त की ज़मीन पर क्या हो कहाँ हो ? तुम्हारी पामाली तुम्हारे लड़ाका बुजुर्गों का नतीजा है,जो अनजाने में नफ़रत के शिकार रहे और तुम्हें बद तरीन हालत में लाकर खड़ा कर दिया है.
ख़बरदार ! उनको बुरा भला भी मत कहना कि वह नादान थे. अब तुमको समझदार बन्ने की ज़रुरत है.
अपने अन्दर एहसास पैदा करो कि तुम्हारे अन्दर खून की धार उनकी है जो हुक्मरान हिंद हुवा करते थे. खुदा न करे कि तुम हुक्मरानी के कोई जुज़ बनो, मगर बेहतर इन्सान बनना तुम्हारे अख्तियार में है. तुम सच्चे और ईमानदार इंसान बनो, अपने और अपने बच्चों के हलक़ में बे ईमानी का एक लुकमा भी मत जाने दो. अपने बच्चों को भरपूर तालीम दो, भले ही तुम को आधा पेट भूका रहना पड़े. तालीम ही तरक्की की सीढ़ी है.
अहद करो कि तुम अपने भाई बंद के हर मुमकिन मदद गार रहोगे,
दिलों का निफ़ाक़ ख़त्म करके एक दूसरे के मदद गार हो जाओगे,
मगर इस फेल से किसी तीसरे का सीधा नुकसान न हो.
एकता कायम करो, एकता में बड़ी बरकत है, साथ साथ नेकता का भी ख़याल रहे कि नेक इंसान ही अच्छे काम कर सकता है.
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