Thursday, September 1, 2011

सलोन के मुस्लिम गहरवार - 1


एक थीं भुट्टी दादी. वह मेरे बचपन की यादगार हैं. उनको अपने गहरवार बुजुर्गों की पुश्तें और उनके आपस में रिश्ते ज़बानी याद हुआ करते थे. अपने बुजुर्गों के नस्ली सिलसिले गिनाती हुई, वह मुरिसे-आला राजा मियाँ तक पहुँच जातीं. मौजूदः नस्लों का रिश्ता खानदान के किस बुज़ुर्ग से है, वह कम्पियुटर की तरह बतला देतीं. इसके आलावा उनके अन्दर अपनी खास इन्फरादियत थी कि वह बुजुर्गों की हिन्दू रिवायत को समोय हुए थीं. कहा जा सकता है कि भुट्टी दादी अपने बुजुर्गों की मिली जुली सन्सकृति आखिरी कड़ी थीं जो हिदू रस्मों और रिवायतों को कायम किए हुए थीं. उनका कोई काम भड्डरी (पुरोहित)के परामश के बिना सम्पन्न न होता. खानदान को लोग उनकी इस हरकत से बेजार रहते. हालाँकि वह साथ साथ ये भी बतलाते कि उनके बुज़ुर्ग, और किन किन हिदू आस्थाओं के पाबंद थे.
भुट्टी दादी तो मेरे सिने बलूगत आने से बहुत पहले इस दुन्या से उठ गईं मगर मेरे खोजी ज़ेहन में तजस्सुस का बीज वह बो गईं जो अंकुरित होना चाहता था.
मैंने अपने परिवार में लोगों से सुना करता कि हमारे खानदान का कोई शजरा है, वह कहीं न कहीं मिल सकता है. मैं इसकी चर्चा अपने माहौल में करने लगा. बुजुर्गों से पूछा तो मायूसी हाथ लगी, बात मेरी हम उम्र गहरवार ज़ादी आरिफ़ा के कानों तक पहुंची. उन्हों ने शजर होने की खुश खबरी मुझे इस तरह दी कि मैं उनको मिठाई खिलाऊँ तो शजरा मिल सकता है. सुन कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. शजरा उर्दू में सेठे की कलम से लिखा हुआ एक वेठन कागज़ पर था, बड़ा ही रफ़ और टफ लिखा हुवा था. शजरे को लेकर मैं खानदान के उर्दू दान बुजुर्गों के पास बैठा और उनसे नामों को तस्दीक कराता हुआ, उसको हिंदी में तब्दील किया. शजरे में मेरे दादा के हम उम्रों के नाम थे जिसे मैं दौड़ धूप करके अपने हम उम्रों के नामों तक ले आया. यह सिलसिला बाद में भी जारी रहा और आज तक जारी है. मैं ने इसे किताब के साथ साथ इंटरनेट पर डाल दिया है जिसमे आगे मुस्तकबिल में भी नाम जोड़े जा सकते हैं.
दिल चस्प वाक़िया ये हुआ कि बेचारी आरिफ़ा पर उसके नाना की शामत आ गई. नाना मरहूम बुनियाद अली खान ने आरिफ़ा से दरयाफ्त किया कि यह शजरा तुझे कहाँ से मिला? और तूने उस लौंडे को क्यूं दिया? उनकी बरहमी नाहक थी कि शजरा आरिफ़ा के वालिद अससू बाबा ने मुंशी नज़र अली से बनवाया था जो उस वक़्त पटवारी हुवा करते थे.













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